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भिलाई में 2 घंटे में 2 ग्रीन कॉरिडोर : एक को 36 और दूसरे को महज 41 मिनट में सेक्टर-9 अस्पताल से रामकृष्ण अस्पताल किया शिफ्ट

भिलाई। दुर्ग पुलिस की एक छोटी सी कोशिश से आज दो लोगों की जिंदगी बच गई। पुलिस ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर गंभीर मरीजों को अस्पताल तक तय समय से पहले पहुंचाया। सेक्टर-9 अस्पताल से दो गंभीर मरीजों को अलग-अलग समय में ग्रीन कॉरिडोर बनाकर रामकृष्ण केयर अस्पताल रेफर किया गया। इनमें एक मरीज का एंजियोप्लास्टी भी हो गई। 

बोरसी की रहने वाली 63 वर्षीय कांताम्मा चार दिनों से सेक्टर-9 में भर्ती थी। आईसीयू में होने की वजह से स्थिति स्थिर बनी हुई थी। आज उनके परिजनों ने पार्षद वशिष्ठ  नारायण मिश्रा से संपर्क किया। रायपुर ले जाने के लिए ज्यादा टाइम नहीं था। बिना देरी किए पार्षद ने ट्रैफिक डीएसपी गुरजीत सिंह से संपर्क किया। डीएसपी ने एक हाइवे पेट्रोलिंग गाड़ी को सेक्टर-9 अस्पताल भेजा। दोपहर 2.20 बजे कांताम्मा को रामकृष्ण केयर के लिए रेफर किया।  दोपहर 2.56 बजे रायपुर रामकृष्ण केयर अस्पताल एंबुलेंस पहुंची। 5 मिनट में उपचार शुरू हो गया। शाम 5.30 बजे कांताम्मा का एंजियोप्लास्टी भी हो गई। 

ग्रीन कॉरिडोर को देख दूसरे मरीज के परिजनों ने भी मांगी मदद

इस प्रकरण को देख बीएसपी कर्मी प्रवीण शर्मा अपनी मां चंदा शर्मा के बेहतर उपचा के लिए रायपुर ले जाने की इच्छा जाहिर की। पार्षद वशिष्ठ मौके पर ही थे। उन्होंने पार्षद वशिष्ठ से बात की। इस प्रकरण में भी बिना देरी किए पार्षद वशिष्ठ ने ट्रैफिक डीएसपी से चर्चा की। उन्होंने एसएसपी बीएन मीणा से मार्गदर्शन मांगते हुए तत्काल दूसरी पेट्रोलिंग गाड़ी को सेक्टर-9 रवाना किया। ग्रीन कॉरिडोर बनाने की पूरी तैयारी हुई। रायपुर से वेंटीलेटर एंबुलेंस लाया गया। इस पर 15 हजार रुपए खर्च हुए। बता दें कि मरीज चंदा शर्मा को पेसमेकर लगना है। 12 सितंबर को ही अस्पताल में भर्ती हुई। एक ही दिन में दूसरे ग्रीन कॉरिडोर बनाने की चुनौती रही। बावजूद पुलिस प्रशासन और पार्षद वशिष्ठ की पहल से मरीज को 4 बजे सेक्टर-9 से लेकर पुलिस और एंबुलेंस निकली जो 4.41 बजे रायपुर रामकृष्ण अस्पताल पहुंची। 


इसलिए ग्रीन कॉरिडोर की नौबत

भिलाई से रायपुर तक फोरलेन की स्थिति से हर कोई वाकिफ है। घंटों तक रोज जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। हाइवे में जगह-जगह गड्‌ढे हैं। लोग परेशान है। इसे देखते हुए मरीज के परिजनों को लग गया था कि अगर सामान्य तरीके से अस्पताल गए तो देर हो सकती है। इसलिए पार्षद वशिष्ठ ने दोनों मरीजों के लिए ग्रीन कॉरिडोर की दरख्वास्त पुलिस प्रशासन से की। पुलिस प्रशासन ने भी दोनों मरीजों की जान बचाने में बिल्कुल भी देरी नहीं की। 


चिंताजनक स्थिति : जिले में सिर्फ एक वेंटीलेटर एंबुलेंस, वो भी प्राइवेट

पार्षद वशिष्ठ ने बताया कि जिले में वेंटीलेटर एंबुलेंस सिर्फ एक है। वो भी प्राइवेट अस्पताल के पास है। अगर किसी को ले जाना होता है तो मोटी रकम दी जाती है। इसके बाद मरीज के परिजन लेकर जाते हैं। पार्षद वशिष्ठ ने कहा कि सीएम समेत चार मंत्रियों वाले इस दुर्ग जिले में प्रशासन और शासन को चाहिए कि एक एंबुलेंस में पूरी सुविधा होनी चाहिए, ऐसी एंबुलेंस खरीदने की व्यवस्था करें।

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