नई दिल्ली। आतंकियों की मदद के आरोप झेलने वाले पाकिस्तान को एफएटीएफ (फायनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) ने ग्रे-लिस्ट से नहीं हटाया है। साथ ही आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने में विफल रहने के आधार पर तुर्की को भी ग्रे-लिस्ट में डाल दिया है।
एफएटीएफ की तीन दिन की बैठक फ्रांस की राजधानी पेरिस में हुई। इसकी अध्यक्षता जर्मनी ने की। इसमें 205 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में बोत्सवाना और मॉरीशस को ग्रे-लिस्ट से बाहर करने का फैसला किया गया है। बताते चलें कि यह लिस्ट काली सूची से थोड़े नीचे के स्तर की होती है। इसमें रखे गए देशों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठन या देश से आसानी से कर्ज, वित्तीय मदद आदि नहीं मिलती। एफएटीएफ की अगली बैठक अब अप्रैल-2022 में होगी।
एफएटीएफ की इसी फरवरी को हुई बैठक में पाकिस्तान से कहा गया था कि वह संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकी घोषित संगठनों पर कार्रवाई करे। उनकी वित्तीय मदद रोके। उनके सरगनाओं पर मुकदमे चलाकर उन्हें जेल भेजे। लेकिन पाकिस्तान ऐसा कुछ कर नहीं पाया। नतीजे में उसे ‘ग्रे-लिस्ट’ में रखने का फैसला किया गया है। एफएटीएफ काला-धन और आतंकी फंडिंग पर निगरानी रखने वाली वैश्विक संस्था है।
(TNS)