देश में आईपीएस अधिकारियों की कमी है। एक भी राज्य ऐसा नहीं है, जहां पर आईपीएस की संख्या स्वीकृत संख्या के मुताबिक हो। सभी राज्यों में पद रिक्त हैं। हर साल 150 आईपीएस अधिकारियों की भर्ती की जाती है, लेकिन इसके बावजूद मौजूदा समय में 958 आईपीएस के पद खाली पड़े हैं।
उड़ीसा में आईपीएस अफसरों की सबसे ज्यादा कमी है। वहां पर आईपीएस के 195 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 120 पद भरे हैं और 75 पद खाली पड़े हैं। इसी तरह उत्तरप्रदेश में 72 पद और पश्चिम बंगाल में 75 पद खाली हैं।
गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि सेवा में रिक्तियां होने के कई कारण होते हैं। जैसे सेवानिवृति, त्यागपत्र, मृत्यु और सेवा से बर्खास्तगी आदि के चलते पद कम हो जाते हैं। ये सभी कारण आवर्ती प्रकृति के हैं और भर्ती की दर के सापेक्ष हैं।
चूंकि रिक्तियां और भर्ती एक सत्तत प्रक्रिया है, इसलिए किसी भी विशेष ड्यूटी के लिए खाली पड़े पदों को भरने की कोई समय सीमा निर्धारित करना कठिन है। सवाल में यह भी पूछा गया था कि क्या सरकार ने विशेष रूप से वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में रिक्त पदों को भरने के लिए समय सीमा निर्धारित की है।
इसके जवाब में राज्य मंत्री का कहना था कि इसके लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हर साल 150 आईपीएस अधिकारियों की भर्ती की जाती है और उन्हें भारतीय पुलिस सेवा के 26 कैडरों में आवंटित किया जाता है।