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गुरचरण सिंह होरा के खिलाफ झूठे आरोपों का पर्दाफाश, अदालत ने दी अग्रिम जमानत

रायपुर, 17 अक्टूबर 2024

देवेन्द्र नगर, रायपुर के व्यवसायी गुरचरण सिंह होरा के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे और दुर्भावनापूर्ण साबित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने उन्हें और उनके सहयोगियों तरणजीत सिंह होरा और गुरमीत सिंह भाटिया को अग्रिम जमानत प्रदान की है, यह बताते हुए कि मामला मुख्य रूप से व्यावसायिक विवाद है और इसे आपराधिक रंग देना गलत है। झूठे आरोपों की पड़ताल

शिकायतकर्ता अभिषेक अग्रवाल ने दावा किया था कि आरोपियों ने Hathway CCN Multinet Private Limited पर कब्जा करके कंपनी का नाम बदलकर Grand Arsh कर दिया। लेकिन अदालत में दी गई जानकारी से यह स्पष्ट हुआ कि गुरचरण सिंह होरा ने 2020 में खुद अभिषेक अग्रवाल के खिलाफ दो एफआईआर (संख्या 51/2020 और 391/2020) दर्ज कराई थीं, जिनमें आरोप था कि अग्रवाल ने कंपनी के फंड का दुरुपयोग कर निजी लाभ उठाया।

शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि होरा ने धमकी देकर उनका 16.33% शेयर हड़प लिया। लेकिन अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता की ओर से दी गई जानकारी स्वयं विरोधाभासी है। उन्होंने दावा किया कि समझौता गजराज़ पगारिया के मध्यस्थता में हुआ, जो पूरी तरह से उनकी सहमति से हुआ था, न कि किसी दबाव में।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि इस विवाद का आधार नागरिक और व्यावसायिक प्रकृति का है, और इसे आपराधिक प्रकरण का रूप देना उचित नहीं। उन्होंने टिप्पणी की कि आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही का उद्देश्य व्यक्तिगत प्रतिशोध और दबाव बनाने का प्रयास प्रतीत होता है।

गुरचरण सिंह होरा: व्यवसायिक नैतिकता के प्रतीक

गुरचरण सिंह होरा एक प्रतिष्ठित व्यवसायी हैं, जिनकी रायपुर में व्यवसायिक ईमानदारी और लोकप्रेम के लिए पहचान है। यह स्पष्ट है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप न केवल बिना आधार के हैं बल्कि उनके व्यवसायिक हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी है। होरा ने हमेशा व्यवसायिक मूल्यों और निष्पक्षता का पालन किया है, और यह मामला उनके खिलाफ एक सुनियोजित षड्यंत्र है।


अदालत का आदेश और शर्तें


अदालत ने होरा और अन्य आरोपियों को अग्रिम जमानत प्रदान की और कुछ शर्तें भी रखीं:


किसी भी गवाह को डराने या धमकाने का प्रयास नहीं करेंगे।

अदालत में हर तारीख पर नियमित रूप से पेश होंगे।

भविष्य में किसी इसी प्रकार के अपराध में शामिल नहीं होंगे।

आधार कार्ड और पासपोर्ट साइज फोटो अदालत में जमा करना अनिवार्य होगा।

निष्कर्ष


इस निर्णय के बाद गुरचरण सिंह होरा के समर्थकों और शहर के व्यापारिक समुदाय में खुशी की लहर है। यह मामला स्पष्ट रूप से दिखाता है कि ईमानदार व्यवसायियों के खिलाफ द्वेषपूर्ण मुकदमे दायर करके उन्हें परेशान करने का प्रयास अस्वीकार्य है। गुरचरण सिंह होरा ने अपने साहस और धैर्य से न केवल अपने सम्मान की रक्षा की, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि सच की जीत हमेशा होती है।

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